डबल मार्कर टेस्ट : Double Marker Test

डबल मार्कर टेस्ट क्या है? double marker test kya hai?


यह खून की जांच है जिसमें गर्भवती महिला के खून में दो तत्वों beta hcg & PAPP-A के स्तर को नापते हैं ।
इनके स्तर के माध्यम से शिशु में विशेष अनुवांशिक रोग मुख्यतः डाउन सिंड्रोम की रिस्क की संभावना की जानकारी मिलती है।
इस जाँच द्वारा उन शिशुओं को पहचाना जाता है जिन्हें जेनेटिक टेस्ट द्वारा अनुवांशिक रोग की जाँच करवाना चाहिये।

डबल मार्कर कब करते हैं? double marker kab karte hai?


गर्भावस्था के 11 से 13 हफ्ते यानी तीसरे महीने के अंत में यह टेस्ट की जाती है।
यह जांच इस विशेष समय पर ही सटीक परिणाम देती है ।

डाउन सिंड्रोम क्या है ? down syndrome kya hai?


शिशु की शारीरिक व मानसिक विकास की कमी के अनुवांशिक कारणों में सबसे आम रोग डाउन सिंड्रोम है ।इसमें क्रोमोसोम 21 की दो की जगह तीन प्रतिलिपि की रचना हो जाती है ।


क्या डबल मार्कर जांच आवश्यक है ?double marker kyon karte hai?


यह एक प्राथमिक चरण जांच है जिसमें रोगों की “हाई रिस्क” या “लो रिस्क” की जानकारी मिलती है ।चूँकि इस टेस्ट में 5% सामान्य शिशु को भी high-risk परिणाम मिल सकते हैं , इस जांच को तीसरे माह की सोनोग्राफी ( NT स्कैन) के साथ करते हैं जिससे परिणाम की सटीकता 90% तक बढ़ जाती है ।

हाई रिस्क परिणाम आने पर पुष्टि हेतु निर्णायक जेनेटिक टेस्ट “अमनियोसेंटेसिस”/ amniocentesis करना आवश्यक होता है।


डबल मार्कर क्यों कराना चाहिए ? double marker kis liye karte hai?


चूंकि इससे प्राप्त जानकारी गर्भावस्था की जटिलताओं के पूर्वानुमान में काफी कारगर होती है, यह जांच हर दंपत्ति को कराने की सलाह गाइनेकोलॉजिस्ट देते हैं।

उम्मीद है यह जानकारी आपके डबल मार्कर संबंधित जिज्ञासा का निदान करने में उपयोगी साबित होगी ।


Dr. Hansali Neema Bhartiya

MBBS, MD , DNB , FICOG, FMAS

19/8/2020

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